जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए हस्तक्षेप करे सुप्रीम कोर्ट, रिटायर टॉप 5 अफसरों ने CJI को लिखी चिट्ठी

 

Jammu Kashmir News: पूर्व गृह सचिव और सेना के बड़े अधिकारी समेत देश के टॉप अफसर रहे पांच लोगों ने चीफ जस्टिस को लेटर लिखकर जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने वादा किया था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं किया। वे चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले।

Jammu Kashmir Full Statehood Demand
पांच पूर्व अफसरों ने सीजेआई से पूर्ण राज्य के मुद्दे पर दखल की मांग की।
श्रीनगर: पूर्व केंद्रीय गृह सचिव, एक रिटायर मेजर-जनरल और एक पूर्व एयर वाइस-मार्शल वाले देश के पांच लोगों के ग्रुप ने भारत के चीफ जस्टिस बी आर गवई को खुली चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस न मिलने पर चिंता जताई गई है। उन्होंने उनसे आग्रह किया है कि वे इस पत्र पर स्वत: संज्ञान लें और जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को हटाने की असंवैधानिकता पर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच गठित करें। उमर अब्दुल्ला भी सीएम बनने के बाद इस विषय को कई बार उठा चुके हैं।


लेटर लिखने वालों में कौन-कौन?

चीफ जस्टिस को लेटर लिखने वालों में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव गोपाल पिल्लई, पूर्व मेजर-जनरल अशोक के. मेहता, पूर्व एयर वाइस-मार्शल कपिल काक, जम्मू-कश्मीर के लिए वार्ताकार चुके राधा कुमार और अंतर-राज्य परिषद के पूर्व केंद्रीय सचिव अमिताब पांडे शामिल हैं। ओपन लेटर में इन पूर्व अधिकारियों ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा अगस्त 2019 में छीन लिया गया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई बार इसे जल्द बहाल करने का वादा किया था। उन्होंने दोहराया कि राज्य का दर्जा बहाल करने में अत्यधिक देरी हुई है, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री ने नवंबर 2019 में संसद में बार-बार वादा किया था कि इसे जल्द ही बहाल कर दिया जाएगा।

राज्यों के अधिकार का सम्मान हो

पत्र में इन याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि यह डिमोशन संविधान और बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करती है कि भारत एक संघीय लोकतंत्र है जिसमें राज्यों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए, जो पिछले 52 वर्षों से भारतीय एकता की आधारशिला रही है। इन लोगों ने चीफ जस्टिस से इस मामले पर खुद ही ध्यान देने और सुप्रीम कोर्ट की बेंच बनाने का आग्रह किया है। वे चाहते हैं कि जम्मू और कश्मीर से राज्य का दर्जा हटाने की संवैधानिकता पर जल्द सुनवाई हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी सरकार इस तरह से किसी राज्य का दर्जा न छीने।
Previous Post Next Post