Mahabharat: युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर बने राजा तो किस भाई को बनाया युवराज, दूसरे भाइयों को मिला कौन सा मंत्रालय


Mahabharat: युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर बने राजा तो किस भाई को बनाया युवराज
हाइलाइट्स
  • सबसे ताकतवर पांडव को युवराज बनाया गया
  • युधिष्ठिर ने अर्जुन को रक्षा मंत्री नहीं बनाया था
  • दुर्योधन का महल तुरंत इस पांडव के पास गया
महाभारत के पहले धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के महाराजा थे जबकि दुर्योधन युवराज. हालांकि ये बात अलग थी कि पूरा राजकाज दुर्योधन की मर्जी से चलता था. बेशक विदुर राज्य के मुख्य सलाहकार और मंत्री थे लेकिन दुर्योधन हमेशा उनकी बातें काटने में लगा रहता था. लेकिन महाभारत के युद्ध के बाद सारी तस्वीर ही बदल गई. युधिष्ठिर को राजा बनाया गया. राजा बनने के बाद उन्होंने सबसे पहला काम युवराज बनाने और अलग अलग कामों के लिए मंत्री बनाने का किया.

महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला. युद्ध जब खत्म हुआ तो दोनों ओर से काफी बड़ी संख्या में सैनिक और बड़े बड़े योद्धा मारे गए. युद्ध खत्म होने के बाद युधिष्ठिर राजा नहीं बनना चाहते थे. कृष्ण, भीष्म और उनके भाइयों ने विचलित युधिष्ठिर को किसी तरह राजा बनने के लिए तैयार किया. जब उन्होंने राजा का पद ग्रहण किया तो राजकाज चलाने के लिए मंत्रालयों का भी गठन किया. अलग अलग जिम्मेदारियों के लिए मंत्री नियुक्त किए. लेकिन इससे भी पहले उन्होंने अपने एक भाई को युवराज बनाया.
बाणशैया पर लेटे भीष्म पितामह ने भी कई दिनों तक युधिष्ठिर को पास बुलाकर राजधर्म का ज्ञान दिया. मन को संतुलित कर राजा का आसन ग्रहण करने को कहा.

महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर का राजतिलक समारोह (Image generated by Leonardo AI)

कितने सालों तक फिर युधिष्ठिर ने किया शासन

जब युधिष्ठिर तैयार हो गए तो उनका राजतिलक किया गया. उन्हें हस्तिनापुर का राजा बनाया गया. उन्होंने अपने शासन के दौरान न्याय और धर्म का पालन किया.  36 वर्षों तक शासन किया. इसके बाद पोते परीक्षित को राजपाट सौंपकर भाइयों के साथ प्राण छोड़ने के लिए हिमालय की ओर कूच कर गए. युधिष्ठिर जब राजा बने तो राजकाज चलाने के लिए उन्होंने किस तरह मंत्रालय बनाये और किसको कौन सा जिम्मा दिया.
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क्यों राजा नहीं बनना चाहते थे 

ये जानने से पहले जान लेते हैं कि महाभारत युद्ध में कितने लोगों की जान गई थी, जिसने युधिष्ठिर को विचलित कर दिया था. महाभारत के युद्ध में दोनों पक्षों की सेनाओं की कुल संख्या 18 अक्षोहिणी थी, जिसमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिणी सेनाएं शामिल थीं. युद्ध के अंत में केवल 18 योद्धा जीवित बचे थे.
अक्षोहिणी एक प्राचीन भारतीय सेना की माप है, जिसका उपयोग महाभारत के युद्ध में किया गया था। यह एक पूर्ण चतुरंगिणी सेना का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें चार प्रमुख अंग होते हैं: पैदल सैनिक, घुड़सवार, रथी और हाथी.
एक अक्षोहिणी में निम्नलिखित सैनिक होते हैं:
पैदल सैनिक: 21,870
घोड़े: 21,870
रथ: 21,870
हाथी: 21,870
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